🔴Breaking: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 छात्र आंदोलन मामले में मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों पर मौत की सजा सुनाई गई है। पूरा विश्लेषण।
Aditi Malhotra

शेख हसीना को मौत की सजा: पूरा केस, कोर्ट का फैसला और आगे क्या, Tuesday, November 18, 2025 | Photo Credit: SylphCorps Media
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को 2024 के छात्र आंदोलन से जुड़े कथित मानवाधिकार उल्लंघनों के मामले में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT-BD) ने मौत की सजा सुनाई है। यह फैसला दक्षिण एशियाई राजनीति में एक बड़ा और विवादित मोड़ माना जा रहा है। शेख हसीना इस समय भारत में निर्वासन में हैं और मुकदमा उनकी अनुपस्थिति में पूरा हुआ।
यह रिपोर्ट इस मामले की पृष्ठभूमि, मुख्य आरोप, अदालत के तर्क, राजनीतिक प्रतिक्रियाएं और आगे की संभावित स्थिति का विश्लेषण प्रस्तुत करती है।
शेख हसीना: एक लंबा राजनीतिक कार्यकाल
शेख हसीना, बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हैं। वह कई कार्यकाल तक प्रधानमंत्री रहीं और 2009 से 2024 तक लगातार सत्ता में रहीं। उनके शासनकाल में आर्थिक और अवसंरचनात्मक विकास हुआ, लेकिन विपक्ष, मीडिया स्वतंत्रता और मानवाधिकार उल्लंघन को लेकर गंभीर आरोप भी लगते रहे।
2024 का छात्र आंदोलन: घटनाओं का आधार
2024 में सरकारी नौकरी के कोटा, बेरोज़गारी और शासन के तौर-तरीकों को लेकर व्यापक छात्र आंदोलन शुरू हुआ। ढाका, चटगांव, सिलहट सहित कई शहरों में प्रदर्शन हुए। मानवाधिकार समूहों और अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के अनुसार सुरक्षा बलों के बल प्रयोग से बड़ी संख्या में मौतें, घायल होने और गायब होने की घटनाएं सामने आईं। सरकार ने इन आंकड़ों को विवादित बताया, लेकिन हालात बिगड़ने के बाद अगस्त 2024 में शेख हसीना देश छोड़कर भारत चली गईं।
आरोप क्या थे
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में निम्न आरोप प्रस्तुत किए:
प्रदर्शनकारियों पर अत्यधिक और घातक बल प्रयोग का आदेश
गैर-न्यायिक हत्याओं और गायब होने की घटनाओं को नहीं रोकना
राज्य तंत्र का उपयोग कर विपक्ष और मीडिया को दबाना
यह कार्रवाई मानवता के खिलाफ अपराध (Crimes Against Humanity) की श्रेणी में आना
अदालत का फैसला
ICT-BD ने कहा कि 2024 में लिए गए सरकारी निर्णयों और सुरक्षा बलों की कार्रवाई के कारण नागरिकों के अधिकारों का व्यापक उल्लंघन हुआ। अदालत ने शेख हसीना को जिम्मेदार मानते हुए मौत की सजा सुनाई। यह फैसला उनके अनुपस्थित रहने पर सुनाया गया, जिसे उनके समर्थक राजनीतिक रूप से प्रेरित बताते हैं।
शेख हसीना की प्रतिक्रिया
शेख हसीना और उनकी कानूनी टीम ने फैसले को पक्षपातपूर्ण और अन्यायपूर्ण बताया। उनका कहना है कि कई प्रदर्शन हिंसक हो चुके थे और सुरक्षा बलों को कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने संकेत दिया है कि वह तभी लौटेंगी जब निष्पक्ष सुनवाई की गारंटी होगी।
बांग्लादेश में राजनीतिक प्रतिक्रिया
फैसले के बाद देश में मिश्रित प्रतिक्रियाएं सामने आईं:
• आंदोलन से जुड़े समूहों ने इसे न्याय के लिए एक कदम बताया।
• अवामी लीग समर्थकों ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध कहा और न्यायपालिका पर प्रश्न उठाए।
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
मानवाधिकार संगठनों ने ट्रायल की पारदर्शिता और मौत की सजा पर चिंता जताई है। अब भारत के सामने यह प्रश्न भी है कि बांग्लादेश की संभावित प्रत्यर्पण मांग पर वह क्या रुख अपनाएगा। क्षेत्रीय कूटनीति और सुरक्षा समीकरणों पर इसके प्रभाव की संभावना है।
आगे क्या संभावनाएँ हैं
आने वाले समय में निम्न स्थितियां विकसित हो सकती हैं:
• सुप्रीम कोर्ट में अपील (यदि दाखिल की जाए)
• भारत और बांग्लादेश के बीच प्रत्यर्पण या शरण को लेकर वार्ता
• अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाओं के समक्ष चुनौती
• संभावित राजनीतिक समझौता
निष्कर्ष
शेख हसीना को मौत की सजा सुनाया जाना बांग्लादेश के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण और विवादास्पद निर्णय है। समर्थक इसे जवाबदेही और न्याय की दिशा में कदम मान रहे हैं, जबकि विरोधी इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताते हैं। आने वाला समय यह तय करेगा कि इस फैसले का बांग्लादेश की राजनीति, न्यायपालिका और क्षेत्रीय संबंधों पर क्या प्रभाव होगा।
Senior Editor

🔴Breaking: Former Bangladesh Prime Minister Sheikh Hasina has been sentenced to death in a landmark crimes-against-humanity verdict linked to the 2024 student protests.

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